पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१९६

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1 1 1 7 3 { (११) -सर पारलस इलियट के पथनानुसार ७ करोड़ और मर विलियम इंटर के पनानुसार ४ करोड़ मनुष्यों को जीवन गर में एषा समय भोजन पर दिन वितामा पाता है। यदि अप्रेमों के १०० पर्ष शासन करने के बाद भी यहो क्या है तो अंग्रेज यह दावा नहीं कर सकते कि भारत में उमफा उद्देश्य मारसयासियों का हित फरना है। फिसामों के अनेक कष्ट। गाय के नियासियों का कठिनाइयों मे अनमिश कानून बमाने वालों ने जंगल य 'ओ कानुन बनाये है उन से फिसानों को पडे फार झेलने पड़त है और फुलहा स्थानों पर जंगल-सम्मन्या पंचायते धनो है। जहाँ परीक्षा की गई। पहा उमका परिणाम प्रध्या हुया है कहीं कहीं तो बहुत ही अच्छा हुआ है। उनके पशुओं के लिय गोचर-भूमि को फमो, फम उपजाऊ सेतों के लिये हरी माद का श्रमाय, अंगलों के चारों ओर पाड़े का म होमा जिप्त के कारण 'भरते हुए पशुओं के भटफ जाने से उनका कांजी-हाउस में पड़ना और फिर उन्हें दाम देकर छुटामा, ऐसे अपराधों के लिये पट और जुर्माना भुगतना जिन्हें घे विस्कुल नर्दी सममते है, श्रीमारों और उनकी मरम्मत के लिये लकड़ो तथा धन का अभाष, पामी का अनिशिजत विभाग-ये मेसे पट हैं मिन के सम्बन्ध में गांवों और स्थानिक परिषदों में विकार उमा करते माम्स एक्ट के कारणा जंगली जामघरों और 1 T