पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२०३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

1 ( १६६ ) नाजुक यिपय पर समाज की रीति और गृहस्यों की परिरि का नया फरके कानून बनाने चाहिये थे, पर उस ने। नहीं किया, और यह विपैला दोष अंग्रेजी की शासन पखात पर अक्षम्य है। यह कहा जा सकता है कि स्त्रियों की स्थन्त्रता को हरण करमा अत्याचार था। इस लिये पालिग स्त्रियों को पुरुषों ही की तरह उन की इच्छानुकूल स्वातन्त्र्य देना चाहिये। दूसप बात माय में यह कही जा सकती है कि बलात्कार के कठोर दएड कानुम से है। यहाँ मैं यह कहता हूँ कि बलात्कार प्रत्या बार या जुर्म है और धोरणा, छल, फुमलाहट, व्यमिहार ये । पाप हैं । जुम' से पाप का दर्जा प्रवन है इसी पाप के लिये सरकारी कानून मे रीतियां बना दी है। फिर यदि स्त्री किसी पुरुष पर बलात्कार करे सो कानूम में उसका कुछ प्रबन्ध नहीं है। हालांकि पेसे उदाहरणों की कमी नहीं है । साय ही या चात भी याद रखनी योग्य है कि उत्तराधिकार के बहुत कम अधिकार मृत पसि को विधषा को कानूनन दिये गये हैं। गौतम, विशिष्ट, मनु और पापस्तम्भ समो स्त्रियों को पति की कम्यायो को पिता की सम्पत्तिके यश का ने हैं। पर अंगरेजी कानून में ऐसी विधधामो साप्पी है, मृत पति के नाम पर पवित्र जीयन करती हैं, अत्याचार सास ससुर, देवर पिता आदि 1