पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२०५

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है। मादक द्रव्यों के सम्बन्ध में गृहसूत्र, स्मृति औनीतियों में तिरस्कार-पूर्ण दराडलिम्चे हैं और इन वस्तुओंका पेचना अत्यन्स निन्दनीय था चान्द्रगुप्त के शासनमें मदिरा जाने का मिपेध या इम सब बातों पर विचार न करके मुख्य बात जो बिना किसी संकोण के कही जा सकती है यह है कि मनुष्यत्वके नाते मादक द्रयों को बेचने देमा न्यायतः महान् घोर अन्याय है सम्भव है सरकारके पिहू भनेको दार्शमिक कारण घताफर यह सिर कर दे कि शराषियोका शराब पीना, अफ़ोमणियों का अफीम खाना मगड़ियों का मंग पीना रोकना उन के स्वातन्त्र्य मे बाधा देना होगा। यहाँ इस जबर धनील के सम्बन्ध में इतना ही ! कहा जा सकता है कि सरकार कैदियों को ये अनावश्यक दम्य नहीं देती है । तष पहो एक कारण हो सकता है कि सरकार को महकमे भावकारी से करोड़ों रुपये का फायदा है और सरकार उस के नालन को नहीं रोक सकती। उसे अपने हलव मौटे से काम है-गाहे यह प्रजा की श्रावक को नालियों में सदाने से प्राप्त हो या रम्हें भर जपानी में कुत्ते की मौत मरले के सपायों से प्राप्त हो। धनी ऐयाश लोग मैने देने है जो गटागट बोतने उड़ा आते हैं और उन्मत्त हो कर मोकर-चाकर, बच्चों और सियों को पशु की तरह मारते और महमक की सरह निलज गाली बकते हायान से भी अधिक उन प्रभागे गरीबों की भयंकर दशा 8 1