पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२१९

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7 ( २१२ ) है। स्टेशम के कुली, जब मजूरी कम लेने को कहा मात है तो किसी मैट्रिक पास को भोजने की सलाह दिया करो। सो अवाम अपमे मा-चापों की श्रामों के तारे, दिमाळ पढे माहर के समान घर द्वार पर शोमित होते थे, जिनके भय बोर, शफू और पदमाश गौष घरों की ओर आंख नहीं उठ सकते थे, जो षोस पचीस वर्ष की सन तक झूठ, व्यभिचार छल, पाखण्ड नहीं समझ सकते थे, गाय मर की स्त्रिय जिनकी काफी, चाची, ताई और बहन थीं, गांव भर के पुरुष काफा, चाचा, और माई येथे नवयुवफ हाय ' आज किर दशा में हैं। प्रोखे गढ़े में घुसी हैं, भूत मारी गई है, दुर्वास त मिस्तेज मुस्न व्यर्थ कपड़ों से मढ़े हुए मौकरी खते फिरते हैं छोटे छोटे या प्रेम की गुत्थियों को सुलझाते हैं। भारत एम० ए० तफ अंग्रेजा शिक्षा सरकार की ओर से दी जाती। इतनी योग्यता के आदमी सिर्फ सरकारी छोटे दर्जे के म घारी बन सकते हैं। क्या भारत को उद्योग धन्धे सिमान पाप था। शुद्ध भारतीय जलवायु में रह कर भारतीय भादर का आदर सिखाना पाप था। बड़े प्रतिष्ठित घरों के बच् को नौकरी की खोज में हूं'ते देता है । एक बर्जी को मानता हूँ जिस की दुकान में ३) २० पेज से ॥) रोज सक ६-७ कारीगर हैं और जो २००) महीने कमाता है। पर उसक साड़का दुर्भाग्य से मैट्रिक हो गया । वह २५) महीने, कमात