पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२२१

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प्रेरित होकर अपनी सपश्चर्या छोड़ लोक सेवा के लिये निकिता 1 हैं। श्रीपधि भोखन वायु की वरदमीयन की प्रावश्यक साम । २१४ ) देसे है। एक रोमियर को जानता हूँ।२००) पाते हैं । माला हैं। आर्यसमाज के प्रधान है । परन्तु उनके विमजिसे पुरुत बंगले पड़े है। छफड़ों में रुपया लाद फर लाते हैं। चेहरे पर फटकार घरसती है-सेच नष्ट हो गया है। वद बढ़ कर दान देते हैं और पाहवाही लुटते है । एक ठेकेदार को जानता है अभी ताजी जान पहचान हुई है। बम्बई में एफ मये, इसीनियर आये थे। उन्हों में इन इजरत को सिद्ध-साधक बनने के लिये बुला लिया है। बोनिपर की स्त्री को साड़ियाँ, हारमोनियम पाजे, जेवर और सौगात घरावर भेज रहे है, एक टांग से सो हो फर जी मुजूर करते हैं। मैंने स्वयं खड़े हो कर उन्हें दो गो बोतल शराब पिलाते देखा है। इतना करके घे उन से मार लेते हैं और मनमामा बिन बना कर स्वीकृति करा देते हैं। उस में असम या दोनों का है। इस तरह ये छोनों पाकि जुटेरे उस रुपये को लूट रहे हैं जो सरकारी कहाता है। वास्तव में प्रजा का है। साक्टरों में जब से जन्म लिया रदार चिकित्सा-ध्यक्षमा तब से निष्ठुर दुकामवारी बन गया । मनुष्यों की मानसिक सामाजिक और शारीरिक परिस्थितियां पूरी रोगी बन गई , बन गई है। परम कारुणिक, वपोघम अषियों मे भूतरा }