पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२२३

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। २१६ ) ओर काम का जान कर भी कोई सहारा नहीं पहुंचाया, इस लिये कि सारा खेत जब ये घरू घेल (ध) ही घर जायेगे तो उस के बछड़े (साफ्टर ) क्या परेंगे। विजायत के दवा विक्रेता किस घर ठोकरे बिये फिरेंगे । इन पछेड़ों के लिये उस मे समेत सुरक्षित रख छोड़े। और आयुर्वेद को मरने के लिये छोड दिया। उस पर दोलावे ओर कस कर लगा दी। ये प्रकृति और स्वभाष के विरुद्ध, हलाहल विष के समान सांघातिक' ऐलोपैयो दयाइयां, जिन से तमाम यूरोप घबरा कर पाहिमाम् पुकार रहा है, मारत जैसे गरम देश में जबर्दस्ती पिलाई जाती है। मो मारत सनाथ होता भारत का कोई जवरदस्त पूत होता तो पूछता-हत्यारो ! किस लिये तुम ये ज़हरे कातित मुलाया देकर गरोष मासूम स्वो-धों के गले उतार रहे हो! किस लिये-हमारे धर्म, जाति और स्वमाष तथा देशकाल के विपरीत-हम पर बलात्कार कर रहे हो। जोबनस्पति स्वाभाविक रूप से सपत्र जंगलों में बहस हाया करती हैं, जिन्हें ताजा मामा काम में लाकर घे-जातर प्रारोग्य' फरमे की विधि आयुर्वेद शास्त्र में है उसशास्त्र का उसार म करके सरकार ने यह प्रबन्ध किया या होने विर्या कि ये वनस्पति यहाँ से लूटा जाकर विज्ञायत जा' और गोरे हायों से संस्कृत करके तव हमारे हलफ में उतारा जाये। उस में अनेक घणित पशुओं के पित्त, मांस, रस चुपचाप