पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२२४

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सरकार वैयों को अयोग्य भूल नहीं करती है। वह यो मापने जिस कालेस मे एम० सी० पास किया था यह पया प्रो क्या काप्ण है कि विदेशी और अमाहत विकिस्सा- पति सिखाने को तो सरकार इतना सिरफुगवा कर रही है, ( २७ ) मिला दिये जाये। क्या इससे भी अधिक कुछ भयंकर दशा हो सकती है । मैं इसे पाप समझता। और वास्तव में यह पाप है। मैं इसे पाप प्रमाणित कर सकता है। गत धैय सम्मेलन में-जो परवा मे हुमा था-अप मैंने वों से सरकारी उपाधियों के छोर दमे का प्रस्ताव किया वव बड़े बड़े माया सभी वैचो मे मेरा घोर विरोध किया । शाया समी संस्थाओं के पड़े लोग सुशामदो और उपाधियों से मूके होते हैं । दुर्भाग्य मे यहाँ भी उन की कमी न थी। ऐसी दशा में विरोध होना भाार्य को पात न थी । परन्तु विरोधियों में पा सर देसाई ने कहा कि की प्रतिष्ठा करने को तैयार है। तुम योग्य धमो कालेज खोला, पड़ो, अपने काम को पूर्ण बना कर बड़े बड़े इलाजों में पश माप्त कपे। गवर्नमेन्ट तुम्हारा सम्मान करेगी इन सर महा ज्य की बात सुन कर मुझे हंसो मा गई । मैंने कहा-महाराय ! भापके पिता जी ने स्थापित किया था या माप माहि-बापु पतु सोधी, उपयोगासा पति के लिये मा जाता है कि कालेज गोले , स्वय योग्य बने । 1 +