पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२२६

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1 । २१६ ) गम्भीर रहते थे। यह समाज गठन, यह जावन, यह आवश इस शिशा रायन ने सर्वथा असल पाताल में डाल दिया। अब मसूरों की दशा देखिपे । न समके रहने को अच्छा स्याम है, म पाने का सुमीता। दिन भर काम का भूत सवार है, उसी फाम ने उन्हें मृत पमा दिया है। अब अंग्रेजी राज्य महीं था सव इन में से प्रत्येक आदमी अपनी छोटी-छोटी दुकानों का मालिफ था। प्रातः काल म्हा घोकर अपनी सूकाम झार फर बैठता । भगवान का नाम लेता। दिन मर मन माना काम करता । राजा की सह प्रसम, घे फिफ और मस्त रहता था। मित्र वान्धवों का पुझे दिल से सत्कार करता और रात्रि को बाम कर सोता। प्रत्येक गृहस्थ के घर में फहामियों की पर्चा थी। रात्रि को सोती बार पेचक और सपदेश प्रद कहानियाँ कही जाती थी। परन्तु आज सनकी यह दशा हुई। अम्पेरे में प्राधी रात से उठ कर उमफी स्त्री को प्यूषहा जसामा पता है।६ बजे मा पो कर उन्हें काम पर हासिर होना चाहिये। सधेरे स्नान सम्भ्या के समय पर वह रोटी क बड़े बड़े कौर जल्दी जल्दी भीतर उतारता है । इसमे में सीटी सुन पड़ता है। पसमागमा है। और दिन भर पशु की तह फाम करता है। पही मनुष्य जीवन है। म मित्रों को शातिर, म महमान की वयाजो। मप्रमाणिक इसमा कि कारखाने से बाहर पातीबार वसायी देनी पड़ती है। यही