पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२२८

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1 । २२१ ) है।) २० रुपये की तनखा में सिपाही सपरिवार रह सकता है। जो अंग्रेज हजारों रुपये की टेवल सजाते हैं उनके दिल में इन करलीज तनखापालों की नित्य की कठिमाईयाँ म भार हों यह असम्भव है । सब साफ पास पही है कि सरकार ने यही चाहा है कि रिश्वत लेकर पेट गरो। हम कुछ म कहेंगे। रेल मैं स्वित, अदालत में रिश्वत, पफ्तर में रिश्वत, साहब के घर पर रिवताहेभगवान! कहीं इस अधर्म का अन्त भी है। अब मैं अपराधी लोगों और जेलके जीवनों पर भी एक प्रकाश राखंगा। प्रत्येक देश में उदएर लोगों की उत्पत्ति होना अमि- वार्य है। परन्तु उमके शासन और सुधारने के लिये उत्तम प्रबन्ध करमा राजा का जोखिम पूर्ण कर्तव्य है। परन्तु जेल शुचपन सिमाने की पाठशाला है। ये-शर्मी की शान चढ़ाने को मशीम-जब कि स्त्री, बच्चे और ऐसे भादमियों को जिन्दो ने मम से विवश हो कर रोटो चुरा ली थी, ऐसे अपराधी के पास निन्द भाव से देखते हैं जो बलात्कार, खून या शाके के अपराध में यहां भाया है। पुलिस के अधिकार व्यवहार भीर सियत इसने निकए और तुष्य है कि कोई मला पावमी पुलिस से किसी भी प्रकार का समाव रखती बार पपराता है। मुझे माम है कि एक बार यो दिन के लिये भी मेस में जाकर कोई भी नशालू से लबाल और भीर से भीरु भादमो कुछ छा निर्मल और पीठ बन पायेगा। मैं भरोसे से कह 1 > 1