पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२३

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भारत की सामाजिक व्यवस्था । राज भारत ससार के प्रायोजन का एक भाग फपत चीन तुर्की, फारस और मिश्र ही नहीं, बल्कि उस और पश्चिम के अन्य देश भी इस आन्दोलन में भाग ले रहे है और भारत अपने को इससे अलग नहीं रन सकता। हमारे प्रश्न अलग है, जो पेचीले और कठिन है । उमसे हम पुर भाग कर संसार के व्यापक प्रश्नों की आह नहीं ग्रहण कर सकते। किन्तु यदि हम स सार की अपेक्षा करेंगे तो उसकी जोखिम हमें उठानी पड़ेगी । आज जो सभ्यता है यह किसी एक देश के, निवासियो या राष्टकी रचना या वपीती नहीं है। इसमें सभी देशों का भाग है। अगर भारत के पास स सार को देने के लिए कोई सन्देशा है जैसा कि मेरा विश्वास है, सो इसे अन्य देशों के निवासियों के सन्देशों से भी बहुत कुछ सीखना है। अव सभी पासे बदल रही है तब भारतीय इतिहास के लम्बे रास्ते को याद करना अच्छा है। भारत को समाजिक व्यवस्था फितने ही विदेशो प्रभावों और हज़ारों वर्षों के परिवत्तनों और झगड़ों के बाद भी दगद धनी मुई है, यह स सार की एक अश्चर्यजनक बात है। यह उनके मुकायने में इसीसे धनी हुई क्योंकि वह सदा उनको अपने भीतर लेती और सनके प्रति