पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२४२

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( 994 ) संसार का इतिहास इस बात का शादी है कि जैसे बड़ी बड़ी सत्ताभी ने असंख्य महान् व्यक्तियों को राज-द्रोह के अपराध में रोमाञ्चकारी दपर दिये हैं उसी प्रकार दलित प्रजा ने दलार असमर्थ होने पर भी प्रयल शक्ति शाजो राम-ससामों को मजा-द्रोह के अपराध में विख्यात कर दिया है। 1 यह बात भी इतिहास बसलाता है कि जब २ यज-द्रोह कमजोर रहा, उस का पतम हुमा । और ज्योती यह पूर्ण हुश्रा पोदो उस की विजय हुई। साथ ही मनुष्यों के धमाये कानूनों मे, इन महामना प्रजाजनों पर जो राजद्रोह के लाइम लगाये, समस्त संसार की सभ्यता मे उन्हें पा दिया। इसके विपरात अनामोद सक कमजोर रहा सष तफ उसने मयार गर्भम वर्जन किया और उसकी प्रस्नएसगसि रही । पर ज्योंही यह पाक में प्रकट हुमा, त्योंही उस का सर्वनाश हुमा । और संसार की सभ्यता कदाचित् ही सहानुभूति (1) से एस की दुर्दशा को देखा । इस से यह भर्य निकलता है कि राज- शोह के स्थान पर प्रजादो ही पाप है। राजदोह को इतिहास मेहमा समर्थन प्रौर सहानुभूति से देखा है और प्रमाद्रोह को भोप घृणा और विरोध को दूष्टि से। में भी सरकार पर यह वोहम लगाता है कि उसने मारत में प्राकर और भारत से अपनी पूरी पूर्ण तमसा लेकर । 1 144