पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२४३

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भारत की भलाई के लिये कुछ नहीं किया । उस मे चुने हुए बुद्धिमान युवकों को धार्मिक और नैतिक जोधन से पतित करके अपना गुलाम बनाने के लिए स्फूल, कालेज स्त्रोले, और हमें यह भरोसा दिया कि ये स्कूल भारत में शिक्षा और विधान के प्रचार के लिये खोले गये हैं । उस मे रेल, तार और साफ के महकमे खोले और में विश्वास दिया कि ये सब प्रजा के हित के लिये हैं। परन्तु हमें मालूम हुआ फि यह काम बस ने हमाचें मील दूर आराम से बैठे रह कर मुमीते से अपना अवएस हुक्म चलाने और भारत के माल को श्रासानी से लाद ले जाने तथा प्रजा को पाने के लिये सेनाओं की शीघ्र सहायता पहुँचाने के लिये यह सब किया गया था। उसने हिन्दुस्तानी जवानों को अपना सिपाही पनाया,सो भारत रक्षा करने के लिये और उस की वीरता जागृत करने के लिये महीं। उम से नमक हलाली के नाम पर हतभाग्य कमज़ोर जातियों को जेर फराकर अपना स्वार्थ साधने के लिये । स मे अनेक राजनीतिक चाणों और राजनीतिक अधिकार्य के दबाव से मारत के व्यापार और कला कौशलका नाश करके,अपमा घर माला माल और भारत कंगाल कर दिया। उसने जमीन के सम्बन्ध में ऐसे भयंकर सट फेर किये है जो किसानों के लिये पांदी के कारण सिमाए । उसने भोरे २ खोटे सिक्के बना कर परदेशी व्यापार के मामले में C 1 1