पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२४८

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सामने दमने की हिम्मत पाला पोसा उस समय पोयेप मोर समस्त संमार में कौन था? उस मैसूर के प्रख्यात चीते फा पराफम यो पापों मे मिल कर छिन्न भिन्न कर राजा । - होतो मे पिना प्रयोजन जिस का सर्यस्थ हड़प लिया और उस की क्सिो मे दाद न दो, यह कंगाशो में कैसे चुप चाप पैठ फर अपना लोह पीता । उन से जो यना उम्हों ने किया। पर कमजोर बट करे तो लुटेरा, और पलथान करे तो शदम शाह, तुम शक्तियान हो, तुम्हें कौन अपराधी कहेगा। उम फा योग्य समका स्यातम्श्रय प्रेम तुम मे बस पल से दरण विया । उन्दों मेरेज़ी फी-तुम मे दगाबाजी । उम का पासा उल्टा पड़ा तुम्हारा सीधा । तुम कह सकते हो?- "हममे तुम्हे सम् अस्याबारी नषाद राजाओं की पमिस्पस क्या स्थातम्प्रप महीं दिया है और तुम्हारे कल्याण और सुख के लिये भारी घेणाएं हम नहीं परहे हैं। जब अराजकता के वापस उमड़ रहे थे। तब हमने तुम्हें शान्सि के पचम नहीं दिये थे। क्या हमने तुम्हारे वर्षों की धार्मिक स्वाधीमता महीं दी है। जिस धर्म के लिये फि युरोप और एशिया में हजारों वर्षों से मर्पकर मारकाट मष ही है। हमने अपने पषम के अनुसार राजा महाराजाओं के मतपे को घफादारी से सला. मस नहीं रखा है। तुम्हारे पिपाहीन पुत्रों के पढ़ाने को स्कूल