(१६) TT ~ भारत की सामाजिक व्यवस्था । अाज भारत संसार के अाम्दोलन का एक भाग है केवल चीन तुर्की, फारस और मिश्र ही नहीं, पक्कि कस और पश्चिम के अन्य देश भी इस आन्दोलन में भाग ले रहे हैं और मारत अपने को इससे अलग नहीं रख सकता हमारे प्रश्न अलग है, जो पेचीले और कठिन हैं । उमसे हम दूर भाग कर संसार के व्यापक प्रश्नों की आड़ नहीं ग्रहण कर सकते । किन्तु यदि हम स सार की अपेक्षा करेंगे तो उसकी जोखिम हमें उठानी पड़ेगी। आज जो सभ्यता है यह किसी एक देश के निवासियों या राष्ट्रफी रखमा पा वपीठी महीं है। इसमें समी, देशों का माग है। अगर भारत के पास ससार को देने के लिए कोई सन्देशा है जैसा कि मेरा विश्वास है, सो इसे अन्य देशी के निवासियों के सन्देशों से भी बहुत कुछ सीखना है। जब सभी पाते बदल रही है तम भारतीय इतिहास के लम्बे रास्ते को याद करना अच्छा है। भारत की समाजिक व्यवस्था कितने ही विदेशी प्रभायों और हजारों वर्षों के परिवो और झगडों के बाद भी दूढ़ यमी मुई है, यह संसार को एक अम्रर्यजनक बात है। यह उनके मुफावसे में इसीसे पनी दुई हैक्योंकि रह सदा उमको अपमे भीतर लेती और उनके प्रति सहिप्ता प्रकट करती रही है । इसका उह मय मिन भिन्न सभ्यताओं का मुलोच्छेद करना नहीं पक्कि उनके बीच साम- 3 1