पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२६

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पौर न (१६)' पेचाला होने से यहो हल करने में कठिनाई होती है। गत पर्प 7 सर्य-दल कमेटी मे इसे हल करमे का भारी प्रयल किया या बहुत कुछ काम मी उस प्रोर हुआ था, फिन्तु हमें यह - तो मानमा ही होगा कि प्रयत्न पूर्णरूप से सफल नहीं हुआ। गिस तद प्रश्न का हल सोचा गया उसका हमारे बाहुतेरे मुसलमान और सिम माइयों मे घोर विरोध किया तथा फीसदी के आंकड़ों को लेकर पखेदा खश किया गया। भय 5 ओर अविश्वास कोरे सर्क से नहीं मिटा फरते। उमको सो विश्वास प्रोर उदारता दो मे मिटा सफते हैं। मैं आशा करता है फि मिम भिम गलियों के मेता अधिक परिणाम में यह विश्यास और उदारता दिखापेंगे। अगर हम सभी लोग एक 1 गुलाम देश के मोसर गुलाम है वो हम अपना या अपनी शाति का फ्या मला कर सकते हैं। और इसमें हमारी हानि क्या हो सकती है कि हम पफ पार मारत को पेरिया फाटद और फिर स्यवम्बता के पायुमण्डन में सांस ले ? क्या हम पह चाहते है कि विदेशी लोग जो हममें से नहीं है और जिन्होंमे हमें गुलामो में रख छोड़ा है हमारे छोटेसे अधिकारों के रक्षक हो जप कि ये हमें स्वतन्त्रता का अधिकार देने से इनकार करते हैं। कोई बहुपक्ष ठाम ठाने हुए अस्पपक्ष को फुचत नहीं सकता और म किसी अम्प पक्ष को काफी रक्षा ही किसी व्यवस्था सभा में उसके कुछ अधिक मेम्बर हो जाने २ -1 1