पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२५३

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( २४६ ) भूली है। इस मैशिमरो ने यूरोप को उजाटना और प्रशाम्त करना शुरू कर दिया है और तुम देखोगे कि यह भीमकाय पाप तुम्हारे योरोप को विध्वंस कर देगा । मिलों में काम करने वाले लोगों को देखो क्या घे गुलाम नहीं हो गये हैं। उन में ओ स्त्रियों का करती हैं उमकी दशा देखकर क्या फलेजा नहीं थर्राता। इन कनों की आंधी मे सारे देश को हिला गला है। तुम्हारे ये प्यारे राक्षस कल पुॐ चरित्र के घातक है- परित्र का नाश करके अपर पंजोदार धनी भी वन आय तो अमीर होकर मी हिन्दुस्तान कभी स्वाधीन न होगा । इस हग के पापों में पड़े हुये भारतीय मजबूरन तुम्हारे बन्नु हो गये हैं। विना तुम्हारी गुलामी में रहे उनका काम ही नहीं चल सकता है यह तुम्हारी फले बाँधा है जिन में असंख्य साप है। यह ट्राम, बिजली और मोटर की धौ धौ पो पोजनकी जहरी फुककीर है। सती को वात ही छोट हो । इस उत्कट भयामफ प्रस के द्वारा भारत मे अपमी वह पवित्रता बनाये रखी थी जो पृथ्या पर कमी किसी को मसीब न हुई यो। यह एक कठोर कर्तव्य था। जिसे तुम । जिन की स्त्रिये जो मुहागरात की प्रभात को हो अंदालत में तलाक के मुकदमे चलाती हैं महीं समझ सकते। हो उस में पुराइयाँ प्रचलित हुई थीं पररसु तुमः सती को रोफने पर किसी तरह ध्यमिधार को भी रोक सकते, विर । }