पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२७३

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3 । २६४ ) कोरिया में विदेशी जाने नहीं पाते थे-अव जब पादरियों पार व्यापारियों ने घुसने का प्रयत्न फिया सूनखराबी हुई। पर जव योरोपियों को उस दुर्दशा में पहुँचाने को वेष्टा का जिस में के योरोप के राष्ट्र अन्य दुर्घल राष्ट्रों को पहुंचाते रहे है-उस समय तक जापान ययेट वलयान राष्ट्र वम चुका था। और उस मे योरोप को साम्राज्य लोलुपता का ज्ञान प्राप्त करके अपनी पर राष्ट्रीय नीति आप ही निर्धारित भी की थी। उसे भय था कि कोरिया को अंग्रेज या रुस म हड़प ले, उसने चेष्टा फरके दो बड़े युद्ध किये, और कोरिया का सारा प्रान्त हो अधिकार में कर लिया । उधर योरोपियनों ने चीन को मटका दिया। जापाम मे बहुत चाहा कि चीन और जापान मिनकर कोरिया का सुसंगठन करें । पर थीम परावर योरो- पियनों को प्रभय देता जाता था । अन्त में ११४ में चोम जापान में युद्ध हुश्रा और संसार मे प्रथम बार देखा फि किस तरह एशिया की जल थल को सेमाऐं लड़ा करती हैं । चीन हारा, उस के बाद उस मे कोरिया में सुधार किये और योपेप मे ऐसा कि पूर्व एशिया में यह हमारे मार्ग का वसा फाटक पड़ा हो गया। बीसीं शताब्दि के प्रारम्म में सब शक्किा हट गई। इस चाहता था कि कोरिया का सर्वश्रेष्ठ पदर मेसेमयो रस के कड़ में रहे और आड़े के दिनों में यहाँ त के गुर बाज 1 2 1 1