पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२८

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( हैं। होगा। पर इस देश में अब मोजन्म को प्रपामता दो जाती है इसलिए जन्मसे हिन्दू होनेके कारण में हिन्दुओं के मेताओं से यह मिषेदन फेरूगा कि ये हो उदारता में पहले प्रागे पढ़ें। उदारता केषज्ञ सदाचार हा नहीं है बसिक प्रायः अच्छो मोति और अच्छा उपाय भी है। यह नो मैं समझ ही नहीं सकता कि स्वतन्त्र भारतमें हिन्दू कमी अशक हो सकते हैं। स्यय मैं तो अपने मुसलमान भोर सिक्स भायों से यहां तक कह सकसा कि जो पाप पाले में उसका विरोधमफगा मैं जानता हूँ कि समय जय मा पहा है अब हमारे झगड़े प्रार्थिफ आधार पर होंगे। इस वीच हमें इस की परयाह महीं कि हमारे पापसके समझौते क्या है मगर शत यह है कि हम कोई ऐसी रुकावट म पड़ी करें जो हमारो भायो उन्नतिके मार्ग में बाधक हो। स्वतन्त्रता की घोषणा करो। irt F वास्तष में समय आ चुका है अब हमें सर्व दल को (नेहरू) रिपोर्ट को अलग हटाकर येरोफ रोक अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए । पाप को पाद है कि पिछली काँग्रेसने सैर्षदन की स्कीम को स्वीकार करने के लिए एक वर्ष कोमुहलत पी थी। वह पप"माय बीत चुकी है। अब इस निर्णय फा स्थामाथिक परिणाम यह है कि यह कांग्रेस स्वतन्त्रता की T