पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२८०

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'ऐशिया, और अफ्रीका के लिये मी यही पात पित्कुल ठीक है। संसार ऐसा विस्तृत मही है कि उस में पसीपातों के सम्मन्य ता० २८ नवंबर सन् १९२४ ई. के दिम सन् पात समो पोफरहामा शहर में 'एशिया का एकी करणा'मामक पिप "वास्तष में एशियां बरके पुनर सीधन का मारंभ, बापान सब परमेशी राष्ट्रों के साथ किये हुए अन्यायो मुसहनामों यदि अमेरिका के लिए यह वात ठोक है कि वहाँ के लोग पोम्प हो या अयोग्य, पर ये अपना सब काम प्राप ही सम्हाले और दूसरा कोई उमके काम में हस्ताक्षेप न करे तो योगेप मे दो नोतियों की गुंजाइश हो सके। राष्ट्रपति विल्सन ने युद्ध के बाद कहा या कि ममये का सिद्धान्त संसार भर में प्रचलित कर दिया जाय । सब लोग सुप से अपने देश में है। कोई किसी के देश में भाकमप करमे म जाय । पर योप वाले मन मानी करना पाहते थे और ऐशिया का दवाये रखना उनके लिये प्रावश्यक पा-फलसा विक्सम का प्रपस्त विफत पुभा। पण्तु ऐशिया भव जापत हो गया है और वह पूरेप के मार से अपने को सर्षया गमुक्त करना चाहता है। पर एक भाषण दिया था। वह भाषण नीचे दिपाजाधा है। कर मिट्टी में मिला दिया, तब से हुआ। इस समय से मापान रे में 5