पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२८१

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२७०) Y एशिया पर में पहला स्वतंत्र राष्ट्र समझा जाम लगा । घोन, हिन्दुस्थान, ईरान, अफगानिस्थाम, अरबस्थान और तुर्कस्थान आदिक अन्यान्य पौर्वात्य राष्ट्र, युरोप के अधिगज्य में हैं। सम्हें युरोप के उपनिवेश की हैसियत से राष्ट्र समझे जावे हैं। ३० वर्ष पहले जापान भी युरोप का ऐसा हो एक उपनि घेश था-समझा माता था। किन्तु जापानी लोग दूरवी थे और उन्हें अपनी परिस्थिति के विषय में अपमान मासूम होने लगा। अतएव उन्हों मे पैसे अम्पायी सुलह नामे नए कर देने का और जापान को स्वतंत्र बनाने का निश्चय किया। इस आन्दोलम के कारण एशिया कांड में मघोन जोषन का रचार हुआ और हम भी एक दिन 'जापान के समान ही युरोप के जाल से छूट जागे, ऐसी आया उसके अन्तः करण में उदित होने लग गई। केवल ३० ही वर्ष पहले एशिया कार के लोगों को, युरोप को शास्त्रीय और औद्योगिक उन्नति देख कर, उसके मुघरे हुए शस्त्रास्त्रों की ओर ध्यान देकर और सामर्थ्यवान सेमा की स्थिति ध्यान में लेकर, ऐसा प्रतीत होमे लग गया था कि युरोप एशिया की अपेक्षा बहुत ही बड़ा चढ़ा झांस है और उस का अधिकार पशिया, पर पाप दिया फौ धमा,रहेगा, यह निश्चित सा है। जापाममे अन्यायी सुलह रह कर देने के १० बन परमाव असी जापानी युद्ध का दावानल सुलग उठा । जापान ने रस