पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२८२

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को हरा दिया और पद हार प्रमेक शताब्दियों में पहली हो 1 111 हार निश्चित हुई। मापान की इस विजय का पशिया झांस पर बरा मारो असर पडा। ए, ला, के अन्तर्गत भाग में रहने वाले लोगों पर इस विजय का यद्यपि फुछ भी प्रभाव नहीं पड़ा तथापि युरोप सांस की सीमा पर एने वाले और मित्य ही युरोपियन मोगों के सम्बन्ध में ग्रामे पाले और उन के द्वारा परेशान हए लोगों के हृदय पर उस विनय का अपरदस्त प्रमाण पहा । एशिया के लोगों मे युरोप के पंजे से मुक्त हो जाने का "निय किया और स्वतंत्रता प्राप्त करने के प्रान्दोलन का, ईरान, अफगानिस्थान, तुर्कस्थान, और भरवस्थान में प्रार्रम हो गया। लग भग २० वर्ष की अवधि में इजिप्त, तुर्कस्थान, रान, अफगानिस्थाम और भरवस्याम ने स्वतंत्रता प्राप्त करती और हिंदुस्थान में भी यही प्राम्दोजन दिन मति विभ बलवान हुआ हा हा है। जब स्वतंत्रता प्राप्त करने को अभिलाषा परिणामावस्या पर पहुंचेगी तव ही एशिया सौर के राष्ट्रों को एकसा को भाषश्यकता प्रतीत होने लग जायेगी और तब कहीं जा कर स्थात्रय प्राप्ति का आन्दोलन फली मूठ होगा। पश्चिमी एशिपा के राष्ट्रों मे परस्पर में सहानुभूति और स्नेह सम्पादन कर लिये है। परंतु पूर्व एशिया के जापान और चीन ने इस