पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२८८

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} 1 २७७) और भरवस्थान भी जागृत हो रहे है और ये युपेपियनों को संरक्षक पद्धति का अनुकपणा कर रहे हैं। चीन के पास इस समय बहुत से सिपाहो और बहुत कुछ युर सामग्री हाने से यह भी सत्वरदो सत्ताधीश बनेगा। एशिया और का एकीकरण फरल और सोसार में अपना वर्मा स्थापित करते हम लागो को परोपकार और पुपय का हो माधय लेना चाहिये । उन्हो के माधार पर ही पशिया के सब राष्ट्रों को एक हो जामा चाहिये।इसी से हम लोगों को एक बलवान सवा बन जावेगी । परन्तु यह प्राधार हम स्त्रोपों को माप्त कर लेना और युरोपियनों की इनके एशिया खंड के अधिकार छोए देने के लिये कहना, इस के माने है पकाध बाघ की समष्टी निकाल देना। हमारे छीने गये अधिकार पुनः प्राप्त करने के लिये हम लोगों को जबरदस्ती के मार्ग का हो अवलंबम फरमा होगा। मापाम और तुर्कस्थान के पास पर्याप्त और सुव्यवस्थित सैनिक सामग्री है। दूसरे, रान, अफगानिस्थान, अरबस्थान श्रीर मेपास, ये राष्ट युर करना मे मिपुण थे। हम ४० कोड धीगी लोग पर्याप शान्ति प्रिय है तथापि समय पाया कि हमारो सामप्पड़ जाती है। यदि पशिया में के राष्ट्र एकत्र हो बापं श्रीर पोपियनों के साप युर करने के लिये तैयार होगाय, यकोम। किन्द वियप अवश्य ही बिना प्राप्त हुए कमी नहीं रहेगा।