पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२९०

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किादमिनमवश्य ही- बिना प्राप्त एप कभी नहीं रहेगा। } सोषों को प्राप्त कर लेना और युरोपियों की उमके पशिया शान्ति प्रिय है तथापि समय पाया कि हमारी सामर्थ्य बह जाती है। यदि एशिया में के राष्ट्र पका हो जाय और योपेपियनों केसाप पुर करने के लिये तैयार हो जाय, यकोन और अरबस्थान भी जागृत हो रहे हैं और ये युरोपियनों का संरक पदति का अनुकरण कर रहे है। चीन के पास इस समय बहुत से सिपाही और बहुत कुछ युद्ध सामग्री हामे से बह भी सत्वरही सत्ताधीश बनेगा। एशिया हार का एकीकरण फरज और संसार में अपना पई स्थापित करते हम लोगों को परोपकार और पुण्य का हो भाभय क्षेमा चाहिये । सम्हों के आधार पर हा एशिया सब राष्ट्रों को एक हो जामा चाहिये।ती से हम लोगों को एक बलबान सत्ता पम जायेगी । परन्तु यह प्राधार हम जीके अधिकार छोड़ देने के लिये कइमा, इस के माने एकाध बाघ की थमी निकाल लेना । हमारे बीने गये पुनः प्राप्त करने के लिये हम लोगों को जबरदस्ती के मा का ही प्रवर्तवम करना होगा। जापान भार तुकस्थान के पास पर्याप्त भौर मुव्यवस्थित सैनिक सामग्रो है। दूसरे, पिन, अफगानिस्थान, अरवस्थान और नेपाल, ये राष्ट पुरता में निपुण थे। हम ५० कोई चीनी लोग पपि है अधिकार $