पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३०

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( १ ) होगा। पर इस देश में अब मी जन्म को प्रधानता दी जाती है समिप जन्मसे हिन्दू होनेके कारण मैं हिन्दुओं के मेसामों से यह निषेदन करूंगा कि पे हो उदारता में पहले प्रागे पढ़ें। उदारता केषज्ञ सदाचारहा नहीं है कि माय अच्छो मोति और अच्छा उपाय मी है। यह वो मैं समझ ही नहीं सफसा कि स्वतन्त्र भारतमें हिन्दू कमी अशक्त हो सकते हैं। स्वयं मैं तो अपने मुसलमाम ओर सिक्न भाइयों से यहाँ तक कह सफसा हूँ कि जो पाप चाहे लेके में इसका विरोधमकर गा मैं जामता हूँ कि समय जन्य मा पहा है जय हमारे झगड़े आर्थिक आधार पर होंगे। इस यीच हमें इस को परयाह महीं कि हमारे आपसके समझौते क्या है मगर शत यह है कि इम कोई ऐसी रुकावट म सदी करें जो हमारी भाषो उमतिके मार्ग में बाधक हो। स्वतन्त्रता की घोषणा करो। यास्तव में समय आ चुका है जब हमें सर्प पल को (मेहरू) रिपोर्ट को अजग हटाफर पेरोक टोक अपने लक्ष्य की ओर बहना चाहिए । पाप को याद है कि पिछी काँग्रेसने सर्वदल की स्कीम को स्वीकार करने के लिए एक वर्ष कीमुहलत दी थी। यह घर्ष मायः बीत चुका है। अब रस मिसय फा स्वाभाषिक पप्यिाम पद किं पंह काँप्रेस स्वतन्त्रता की { ng F2