घोषणा करे और उसे प्राप्त करने के लिए शक्ति संगठित करे।
मुहलत के साल में न तो औपनिवेशिक स्वराज्य मिला और न
सर्वदल सम्मेलन द्वारा प्रस्तावित शासन विधान हो। उस के
वदले हमें कष्ट मिला तथा हमारे राष्ट्रीय और मजूर आन्दो-
लनों का और भी अधिक दमन किया गया तथा हमारे बहु-
त रूपक भाई विदेशी गवर्नमेएट के द्वारा अजग कर रखे गये
हैं। उनमें से कितने अधिक ऐसे हैं जो विदेशों में निर्यासन का
जीवन बिता रहे हैं और उनके लिये इस देश में लौटने का
सुमीसा नहीं किया जाता। इस देश पर अधिकार रखने वाली
सेना हमारे देश को अपने फौलादी पजे में जकड़े हुए है और
हमारे प्रभुओंका कोड़ा हर वक्त हमारे ओष्ठसे श्रेष्ठ पुरुषों पर
पड़नेके लिये सदा तैयार रहता है यदि ये सिर उठाने का
साहस करें। कलकत्ते के प्रस्ताव का जो उत्तर दिया गया है
वह स्पष्ट और निश्चित है।
समझौतेका प्रस्ताव धोखा है।
हाल में शान्तिका प्रस्ताव किया गया है। ब्रिटिश सर-
कार की ओर से वायसराय ने कहा है कि भारत के भावी
शासन विधानपर सलाह करने को भारतीय नेता बुलाये जायंगे
उनका अभिप्राय अच्छा और भाषा शान्ति की है। परन्तु
हमें ब्रिटिश कूटनीति का काफी अनुभव है जिस से सावधान