पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३१८

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7F FC पार उपद्रय खड़ा हो गया। खो प्रमानुएलाक सुधारोंके विरोध के फाप्ण है, जोजंगसो जातियों गिरिश इलाके के पास बसतो है उन्हीं की सुधारों के विस्व भापति भी जान पड़ी। ( ३०१ )

अफ्गानिस्तान का निद्राह। पारको स्मरण होगा कि गनथाप प्रमानुसा गा लण्डन में था उनसे इस पास के लिये प्यार का मारा प्रयत्न किये गये कि जा मुधार घे फरना चाहते हैं उनका खर पूरा करन के लिये घे अंग्रेजो म एक परोह पीड पर्ज से और अंग्रेज सलाहकार । लफिन अमानुला मा मे प्रतापूर्वक ये समा पाते अस्यामर कर दी। फिर उनका सम का यात्रा स्थगिस पग्ने के लिय यात फुछ समझाया घुझाया गया, किन्तु जैसा उन्होंने निश्चय पर माथा ये मास्मा गये। इस जागो फ धारण निधपदा ये लगइन मोर दिल्ला में अंग्रेज मरकार ये बहुत प्रिय हो गये। इसके सिवा पम्या में उन्होंने क ऐसो पातें कह दी थी जिनम भारत सरकार माराम थी। थमानुसा मां को अफगानिस्तान छोडे जय प्राय एक महोना दाहुधा था, फलकत्त के 'फारयष्ठ' ने समाचार प्रकाशित क्यिा था कि अफगानिस्तान में पद्य खड़ा करमे को एजेन्ट मैन गये है। प्रयश्य, नुरम्त ही उस समाचार की सस्पता से साफ इन्कार किया गया मोर उमफा प्यपरम पर दिया गया था। तोम महोने बाद भारम से मयरे माने सगी कि मामा के arts kert przery cronil droid mais