पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३२०

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Heira dond TA R ( ३०३ ) के लिये मार्ग के सम्बना में उपद्रव पूर्ण विवाद, ईराक को स्वीकार करना प्रादि व्या राष्ट्र सम्घ को लिखना कि अंग्र जों का मुनरों सिद्धान्त हमें स्वीकार मही, जेमेषामें ब्रिटिश और फारम के प्रतिनिधियों में फी २ पाते हो जाना तथा ताम्य और पायूमुसाके द्वीपो के प्राधिपत्य के सम्बन्ध का पियाद-पे सप मास घटनाए । प्रप इराफ की सीमा के पास सिस्ताम की अंगली मातियों के निकट ही विद्रोह बड़ा हो गया है। अंग्रेज़ों की नाराजी का नतीजा । अफगानिस्ताम, फारस और भग्य सर्वत्र ही एक्सा दस्य है । अगर इतिहास के पन्ने उलटदिये तो यही वासे लगभग एक सौ वर्षों से समस्त अफ्रीका और एशिया दोन पड़ती है कि- मायिक संचालकों को नाराज किया नहीं कि उस को अपनी माके पोच पिद्रोह होता दिखाई देगा।"ऐसा क्यों होता है। मच, जर्मन और सोसया से ही श्रम्प लोग तथा पशिया पानेतो यह भारोपपूर्ण पात कदमे रहते हैं कि य विद्रोह ब्रिटिश एजेंटो,ग्रिटिश पश्यन्त्र और ब्रिटिश धमकेद्वारा होते है,ये विदेशी कितने भठे हैं यह प्रत्येक व्यक्ति सामता है। राम ! राम ! फिसी मद पुरुष को सो पेसी कम्पमा भी मही हो सकती । इसलिये मैं सो उस विद्रोह का फायण पदी बहँगा कि भगवान ही एक बार फिर अपमे प्रेमपात्र साम्राज्य की भोर से काम कर m wi 7 6