पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३२१

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1 ( ३०२ ) अरब का विद्रोह । पिछलो गर्मी में नज़द पर इराफसे हवाई जहाजों से प्राफ मया किये जाने के बाद जद्दा में इवनसऊद के प्रतिनिधियों और सर गिलबर्ट फ्लेटम की एक कानफ्रेस हुई थी। लेकिन इनसकद मे अमानुल्ला को तरह सब प्रलोभनों का तिरस्कार किया और अन्य देशों की अधीनता स्वीकार नहीं की। इससे बात चीत पूरी महीं हो पाई और काम्फ्रेम्स टूट गई। 'टेलीमेल तथा उमफे दर्जे के अन्य पत्रों में कहा गया कि वोजयिक प्रभाव का यह परिणाम है। उसके बाद बहुत जल्द ही पावर आई कि ईराक की सीमा के पास की पहायो जातियों के नेता शेल फजलठदाधिश मे विद्रोह खड़ा किया है। उस पक्क ट्रांस जोर्डन की सोमा के निकट जंगली जातियों के बागो होमे की खबर थी। इनसमद उनको दबाने के लिये जल्द उत्तर की ओर गये । लेकिन उन्हें गये देर नहीं हुई कि जहा के पास भारी यनषा हो जाने की स्ववर आ गई। यहाँ याद रहे कि' जालसागर के तटका हलाज में यही एक बन्दरगाह है जो गैर मुसलिमों के लिये खुला है। फारस का विद्रोह । तीसरा विद्रोह फारस का है। यहाँ भी उक दोनों की सो बाते देखने में पाती है। रजा खां कभी तो निटिश अधिरक्षण में थे, पर अब ये पूर्ण रूप से स्वतन्त्र हो गये हैं। हवाई आहाओं 5 1