पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( २४ ) होता। जिस प्रोपनिवेशिक स्वराज्य के कार्य-रूप में होने की बात कही गयी है उससे भारत की लूट तो बद हुई नहीं है। इस वर्ष पहले के सुधारों से जनसाधारण के ऊपर वोम और भी बढ़ गया है । हम हाईकमिश्नरी, राष्ट्रसंघ में प्रतिनिधित्व गवर्मरी और ऊचे पदों के तो भूखे नहीं है। हम तो भारत के गरीबों का लुटा जामा पम्द फरना और वास्तविक अधिकार पाना चाहते हैं। मि० घेन ने पिछले दस घर्ष के जा कारनामे पेश किये हैं उम के साथ हो उम्हे पंजाब के मार्शल ला, जलया- सवाला बाग का हत्याकांड, दमम मोर दोहन की मो गिंमती कराना चाहिये यो शो तब से बराबर जारी है। उम को बात से पता चलता है कि सन का औपनिवेशिक स्वराज इनेगिने पारसोयों को अधिकार देगा मोर अन सापाप्ण का दमन और लूट और भी अधिक होगी। स्वतन्त्रता की घोषणा Atas यह काँग्रेस क्या करेगी -सहयोग की शर्त पूरी नहीं की गयीं। अबतक पास्तविक स्वतन्त्रताको गारण्टीन मिशे भन्या हम सहयोगदान कर सकते हैं ? क्या हम सहयोग कर सकते हैं अब हमारे माई लोग खेत में हैं और दमन नीति जारी है? शान्वितगीन के बल महीं हो सकती और यदि हमारे ऊपर विदेशियों का मापाम्प बना रहना है तो हमें कम से कम > २