पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/४४

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( ३३ ) पेसा कार्यक्रम निश्म्रय कर देगी जो शोघ्र ही पूरा किया मा सके। शायद इस में कांग्रेस पास बहुत आगे नहीं जा सकती। किन्तु इसे अन्तिम लक्ष्य दष्टि मरममा और तदर्थ काम करमा चाहिये । प्रश्न मजरो ओर उस उदारता का ही नहीं है जो काम फराने धाले मजरों के सामने प्रलोमनाथ रखते हैं। कार- मार भोर जमीन के बारे में इस से पुराई का अन्त नहीं होने फा । इसी तरह इस्लीगम (सरतश्ता) का नया सिखाम्त भी व्यर्थ है, क्योंकि इसका अर्थ यह है कि मले पुरे का अधि- कार स्वयंभू संरक्षकों फा रहता है जो स्वेच्छानुसार उसे काम में ला सकते है । सारा राष्ट्र ट्रस्टी या संरक्षक दो तमी अच्छा होता है, पफ व्यक्ति या दल की संरक्षकता ठीक नहीं। किसने ही अंग्रेज़ सपे दिल से समझते हैं कि भारत के स रक्षक है तो भी हमारे देश की क्या अवस्था उन्होंने कर शली है। हमें निश्चय करमा है कि कारवार और अमोन की पैदावार किस केलाम के लिये हो । आज समीम से जो । इतनी अधिक पैदावार होता है यह किसानों या सेतों में काम करने वाले मजूरों के लिये महीं है और कारवार का प्रधाम सद्देश्य सो करोड़पती पैदा करमा है। किसनी ही बढ़िया फसल और मुनाफा हो, इन गरीयों के कामकाम और फस के मोपडे सपा पल्लापता ही ब्रिटिश साम्राज्य और पर्तमान सामा जिक पति की महिमा प्रकट करने वाली है। इस लिये हमारा