पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/५५

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(४२) 1 भारस के सापजनिक ण का यह भाग तो हम स्वीकार करते हैं और उसे चुकाने को तैयार है जो भारत के लिये लाम के कामों में खर्च किया गया है। पर जो पड़ी रकम भारत को श्राधानता में बनाये रखने के उद्देश्य से लो गयो है पने घुकामे की जिम्मेवारो हम अपने ऊपर विल्कुल नहीं लेते। गरीबो के मारे हुए भारतयासा उन फों का धोम सहने को तैयार नहीं हो सकते जो युद्धों के खर्च के लिये काढ़े गये हैं जो हालेपर मे अपना राज्य पढ़ामे और भारत में अपनी स्थिति मजबूत बनाने के लिये किये थे । म हम सन बहुसंख्यक रियायतों को हो स्योकार कर सकते है जो विदेशी दोहन कग्ने यालों के साथ अन्धाधुन्ध तौर से उधिस मायज़ (चवल) के विमा ही की गई है। नारी खतरों के बिना भारी सफलता नहीं । अब तक प्रयासो मारतोयों के बारे में मैंने कुछ नहीं कहा और न ज्यादा कहने का विचार ही है। यह इस लिये नहीं कि उनके साथ हमारा सहानुभूति नहीं है जो भारो शक्तियों का वीरता से सामना कर रहे हैं। उनके भाग्य का निर्णय भारत में ही होगा और जा स प्राम हम पदों हेड रहे हैं यह उनके जिये मो उतमा,ही है जितना हमारे वास्ते, इन सभाम के लिये हमें कार्ययोग्य पात्र को आवश्यकता है। हमारा, कांग्रेस ! 1 J