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(( ४३ ) | का सङ्गठन पोर थिथान येहद पुराना और मम्द - गतिवाला

हो गया है जो विकट समय के लिये उपयुक नहीं है। बड़े बड़े

प्रदर्शनों का समय चला गया अय तो हम चुपचाप और पेसा काम चाहते हैं जिसका मुकाबला कोई म कर सके। यह तमो हो सकता है जब हमारे कार्यकर्ताओं में पूर्ण व्यय स्था हो, हम जो पस्लाय पास करें उनको कार्य रूप दे। कांग्रेस के अप्सनी मेम्बर चाहे कितने ही कम हो, किन्तु यदि अगर इसका कार्य व्यवस्थित रूप म हो सो इसकी शकि पड़ेगा। जी होमकर आगे बढ़ने घाले बहुत अक्पस ख्यफ लोगों ने राष्ट्रों के भाग्य पलट दिये हैं। मास स्वतन्त्रता का भी प्रर्य मियम् प्रा प्रोर व्यवस्था पालन है और हममें से प्रत्येकको बड़े हित के सामने अपने को अघोन वनामा पड़ेगा। कांग्रेस देश के प्रसपस रुपक लोगों की प्रतिनिधि नहीं है। पाहे बहुतेरे लोग निक्षता वश इसके मेम्बर म धर्म, पर ये इसकी भार प्राशा मे देखते और चाहते हैं कि यह उनका यार करे। कलकले के प्रस्ताव के समय से हो धेश की द्रष्टि इस अधिवेशन की ओर लगी है। हममें से कोई महीं कह सकता कि हमें का और क्या प्राप्त होगा। हम अपनी इच्छा से ही सफलता नहीं पा सकते। पर पापा सफलठा महीं को मिलती है जो साहस फरफे काम करते हैं। ऐसे कायरों को वो यह कभी प्राप्त ही नहीं होसी ओ.परिणामी से मय माते हैं। अगर हमें 1