पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/५९

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को काँग्रेस प्रतिनिधियों को येषस कर दिया । अब कि यह स्पष्ट कह दिया गया कि लाला लाजपतराय को हत्या और जतीम को शोचनीय मृत्यु पर सरकार मेजरामी शराफत की नज़र महीं की। पहर ओर चने पर मो राष्ट्रीय झारे में गहराई तक स्याम पा चुका है १० वर्ष पाद राष्ट्रपति को अपहेलना एक प्रभाष शाली परिणाम प्रकट करेगा इसमें सम्पद नहीं। हम अपनी राय प्रयक रूपए करके इस सम्बन्ध में दंगे। इस भापण में जवाहर लाल नेहरू ने अपने को स्पष्ट प्रजातन्त्रवादी और साम्यवादो वयान किया है उनके भाषण में इस भावना को फाफ़ी है । परन्तु मुसलमानों ओर सिक्कों के साथ हिन्दुओं को जिस उदारताका व्यवहार करने का सलाह दी है। उस पर हमें गम्भीरता से विचार करना होगा । सन् २१ में देश मे इस उदारता को प्रयोग में लाकर देख लिया है, और उसका ठोक परिणाम नहीं प्रतीत हा है। समाज में एफाफार चाहते हैं। पर भारत की जातियों में धर्म मित्ति जैसी है। उसे देखने एकाकार होना कितमा रूह है, यह प्रत्येक विचार शोज समझ सकता है। और हम प्रागे घल कर अपनी उस फठिमाई का घणन करेंगे जो घोपित प्रोग्राम पर अपसर होने पर इन बानीप बग्धों के कारण इम पर प्रापेगी ही। 12 1