पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/६२

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( 8 ) इस वप उन्हें प्राप्त रहेंगे। परन्तु यह तो स्पष्ट जाहिर है कि अहिंसा तत्व में जवाहर लाल नैविक तौर पर उतने विश्वासी महीं साथ हा देश भो महात्मा जो को असा मोहा करे पर यह पसन्द करेगा 40 जवाहरलाल जा मेहरू को ही गर्म भावनाफा। देश में प्रात्म विश्वास नहीं है, प्रारम शक्ति का म सय मों नहीं है परन्तु उन भाषना अवश्य है-नस लिये देश देगा, पं० जवाहरलाल महरू के पास क्या कोई ऐसी शक्ति है कि यदि देश महात्मा गांधा पा ६० मोमोहाल के मियन्त्रस्य में न रहे, गिसके भय ने महात्मा जी को समापति का भासन स्वीकार नहीं करने दिया है और यह लोहे के पदले जोहा बजामे को तैयार हो जाय तो उसे नियन्त्रण में कर सके, अथवा उसको रक्षा कर सके। पह प्रश्न बहुत भयानक है। हम कोष में भाकर गर्म मस्तिष्क मे प्रबल से प्रवल पाक्रमणों के ममसूमे कर सकते हैं हम अत्याचारों और अन्याय के बुरी तरह शिकार हो रहे हैं यह भी सब है और हम उस के बदले में कड़ी से कड़ो और साल से लाल भाषना मम में पार्षे या अवाम से करें परन्तु, अपनी और पराई शक्ति पर यदि हम विधार नहीं कर सकते, तो हमारे जीवन मरा होने का सामाम सामने है। सिपाही सदैव योदा होते हैं, सेनापति को भाया पर प्राणो फा 1 + 7