पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/६३

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(५०) मोह योड़ भागे बढ़ना उन का कर्तव्य है । पतु सेनापति का कर्तव्य है दर्शितासे शत्रु के बलायन का विचार करना। अपनी सेना को व्यर्थ ही मरहोने के अवसरों से बचामा-सया फम से कम हानि में अधिक से लाम की चेष्टा करना। युवक राष्ट्रपति के भाषण और भावों में सो योदा की पीरात्मा है यह प्रायश्यकता पड़ने पर सच्चे योगा की तरह प्राणों की आहुती देगा यह भी निस्सन्देह सच है। पर हमारे तुच्छ पिचार में उन में सेनापति की दग्दशिता नहीं प्रतीत हुई, हम अपने उपरोक्त भयामक प्रश्न का उत्तर नहीं पाते जयाहर लाल नेहरू हमें अपने सच्चे मावेश औरपलिदान से प्रभाषित करके फ्रान्सिको लाल धिो में पड़े शोरसे से उड़ने की शक्ति रखते है। पर यदि शपक्ष का प्रवल पेग हमें कुषता शालेता उससे हमारी रक्षा करने को शक्ति उन में नहीं। हम जवाहर लाल नेहरू को आधोनता में चित्तीर का राजपूतानियों की तरह जूझ कर मर सपने का सुन्दर और सेज पूर्ण दृश्य दिवा सकते हैं । यदि हम योग्य हुये । परन्तु मारत को पूर्ण स्वाधीन बनाकर विजयी होने का सम्मान प्राप्त नहीं कर सकते। अपर्याप्तं तदस्माक पल मीमाभिरक्षितम् । पर्याप्तत्विदमेतेषां पलं भीमाभिरक्षितम् ॥ )