पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/६९

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( ५४ ) मरने के.लिये छोड़ देते हैं" परन्तु अन्त में पूरेप के प्रवन राज नैतिको को यह कहना पड़ा कि उस समय केवल एक हाय का कमी मटेनिटेन के सर्व माश में रह गई था देश ने महात्मा जी का साथ माहीं दिया। और मदारमार के जेल आने पर देश ने अपनो नाति को बना दिया और उसके बाद महात्मा जी ने भो अपनी मीति को होला का दिया-- फल स्वरूप वह महा सुयोग मिफल गया। परन्तु इतना होने पर भी देश में जो जाग्रति पैदा । यह साधारण न थी। पराई विधा के बैल पोर पराई बुरि के दलालों के हाथ से निकल कर देश को राजनतिक भाकाव देश के सर्व साधारण के हदय और मस्तिष्क तक पहुँच ग है । और महात्मा जी अब केवल कुछ विचार शीला श्री असाधारण मनुष्यों के वन पर नहीं प्रत्युत् देश की पूर साहिक सुगाठिक संघ शति के हाथों में कांग्रेस को सों सन्हीं के हाथ से देश को स्वाधीन करना चाहते हैं। महात्मा गान्धी की यही नोठि युगधर्म एय वास्तविकत से भरी हुई है। आज सारे संसार की जातियों में श्रोत्मशास के भाष उत्पन्न होरहे हैं। और वेश्राम रक्षा के लिये कड़े। कडा युट करने को तैयार हैं। एक सचाबाद ओर साम्राज बारस होगये । मो रह गये है उनका जीवन काल समा