पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/७२

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( ५६ 1 विश्वास है व्यर्य होगी-सके सिया महारमा का दूसरा अस्त्र मोसबसे प्रबल है-पद है कि सरकार का मामदनीबन्द कर दो माय-यदि यह अम सफल हो जाय तो पड़ो से बहो सरकार को स्वस होने में देर महीं लग सकती। पर बल पड़ा प्रवल है, धन से वेतन पाकर बड़े २ पुरुषों ने शरीर और मात्मा को बेच दियाई, घन म समा सहारफ अस्त्र शहा बनते है भारत सरकार बड़े भारा को के मोचे दर रहा है इसके सिया उसका पर्चा मा असाधा है यदि सरकार को प्राय नष्ट कर दी जाय तो समझिये कि उसका अस्तित्व जादू के ज़ोर से मिट जायगा इस यप के होने वाले प्रान्दोलन के पाद-सरकार का ओर से कहा जा सकता है कि महात्मा जो विद्रोही है, मैं सरकार से यह पूछता है कि विद्रोह का अर्थ क्या है, अगर विद्रोह से सरकार का यह अर्थ हो कि देश में जो प्रशान्ति फलो है और सरकार के प्रति देश को जो अमकि और विरका सदा का पैदा हो गई, मोर देश अंग्रेज़ सरकार को मापसन्द करता है, और इससे लड़कर या तो परमाद हो जाने पर या स्वाधीन होने पर तुला है-यह सब भाषमा महरा शो की फसाई और सहामा गाको हो इनके जिम्मेदार हैं तो मैं कहूंगा कि यह सर्वथा भूठ है- जैसा कि विद्वान राजनीतिक मिटर माटेग्य ने एक बार