पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/७४

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. महात्मा गान्धी से बहुत प्रथम यह लहर भारत में गंज दी पी-उसका कारण है कि देश समर्थ हो रहा है-येश जाग्रत होरहा है-ऐश अघ गुलाम नहीं बना रहेगा नेश अव पराई बुद्धि से फॉम महीं लेगा-प्रव उसे गुर्राटे को मींद लेकर स्पटमलों मे खम भुसाना सम नहीं है। इस लिये देश स्वयं उठा है म्यय यह अपने अधिकार, मान, मर्यादा और स्वापोमता मांग रहा है, उसे नेताओं का अकरत है जैसा फि सब देशों में होती है पोर उसे अनेक नेता मिले परन्तु मम्स में उसने गान्धी के मेतृत्य को पसन्द किया इस लिये गान्धी उत प्राग या प्यास का जिम्मेवार नहीं है जो समस्त देश में फैल गई है वस्फे यह उस माति का ज़िम्मेदार मिस पर यह पता कर देश की उस प्यास को धुझामा चाहता है- महात्मा गान्धी की पहचान छिपी नहीं है यह गल के समान म्यच्छ और शाम्त है उसमें खून सरावा नहीं, हिंसा नहीं, देप नहीं, पाप नहीं, और महीं, प्रेम है, दया है, त्याग है, उदारता है और पीता है। हिन्सा से सम्हें थान्तरिक घृणा है बम्बई में जब खेद पूर्ण दुर्घटनाएं हुई तब उन्होंने अपने कार्यक्रम को रोक दिया, औरा चारी में उनकी मीति पर फलक लगने वाला 'काम हुमा उन्होंने अपनी गति को रोक दिया, इस काम से उन्होंने अपनें परायों का कड़े मे कहा अपमान भी सहा । फ्रांसीसी साधू पाल रिचार्ड से