पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/८०

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से ही प्राप्त होगा। भारत को अगर जीवित रहमा है वो मुसे अवश्य ही स्वराज्य प्राप्त करना होगा। भाई लोग, हम खड़ाई मत फप्ना । हत्या करने से महा पाप होता है, इस के सिधा संख्या में बहुत होने पर भी तुम कमजोर और अनहीम हो। तुम केयत काम करते रहो और अपने देशवासियों को समझाते रहो । प्रटेनिटेन अपमे स्यायों के लिये जब तक मारतवर्ष को पोछे की ओर खींचता रहेगा तब तक वह तुम्हें स्वराम (होमरूल) नहीं देगा । हम जितने दिम ब्रिटेन की चीज परीदते रहेंगे उसने दिन तक भारत को पराधीन रखने के लिये प्रिटम के हाथों को मजबूत बनाते रहेंगे।" इनारों सत्साही प्रचारक ससकी यह वाणी जन साधारण तक पहुंचाया करते हैं। अगणित शताब्दियों से पेशवर सोया हुमा विशाल भारत सस महापुरुष की याणी सुनकर सागरण के लिये सगवगामे लगा है। वह कहता है-"हमें स्वराज्य क्या है। इसके लिये अधिक माथापची फरमे की प्रायश्यकता नहीं । महात्मा गांधी की यही प्रामा है। यह एक साधु पुरुष है। बस, उनकी माझा है कि हम लोग विदेशी वस्त्र म सरोदे। पद पुस्ख की पात-है, परन्तु उस से हमारी मलाई होगी। महात्मा गांधी कह रहे हैं, इसलिये हम अपश्य हो उनकी प्रामा ३ का पालन करेंगे।" महात्मा गाँशो ग्राह्मण महीं, पैश्य है-दूफानदायें,,की +