पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/८५

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(! Jó ) वह मनुष्य क्या हुमा स्वार्थ पर आघात होये, अषा' अप्रिय आचरण पर-प्राणीमात्र केहदय में क्रोधानि प्रज्वलित हो उठती है उस के अधिक बढ़ जाने पर विद्वष का प्रावमा होता है ।भारतवासियों के हृदयों में बहुत काल से और व्यक्ति विशेषों के अन्यायाचरण अथवा नौकर शाही की स्वेच्छा चारिता से भीतर ही भीतर क्रोध तथा असन्तोष का सवय हो रहा था-पोछे अब मौकर शाही ने उस उदीय मान भावना को दमन नीति से दधाना चाहा तब उस असन्तोष में तीय भाष धारण कर लिया। और पदयात्रों की सुष्टि हुई। जिस समय देश को अंग्रेजों ने अधिष्त किया था उस समय पेश दुर्घन मथा। अंग्रेजों का भारत को अधिकत करना संसार के 'इतिहास में अद्भुत घटना है। यह देश दुनि, प्रशानी और जंगली जातियों का निवास स्थान न था। प्रत्युत राजपूठ, मराठा, सिष, पठान,मुगल, श्रादि योद्धा जातियों का वास स्थान था। । 'जिस समय देश को अप्रो ने विजय किया उस समय नामा फड़नवीस के समान विचक्षण राजनीति के प्रकार परिश्त, माधो जो सिंधिया जैसे रण पपिन्त, सेनापति, हैदर अली और रणजीतसिंह जैसे तेजस्वी और प्रतिभाशालो राज्य निर्माता भारत के मिभ २ प्रान्तों में जन्म ले चुके थे। यह हम साहस पूर्वक कह सकते हैं कि १८वीं शतान्दि के भारत- 1 बात