पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/९

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लागा का माहित करन क ालय जादूगर महात्मा के यह जादू भरे शब्द काफ़ी ये और यह प्रस्ताव 'महात्मा गांधी की जय' की गर्जना के साथ पास हो गया। इसके बाद राष्ट्रपति जवाहर लाल नेहरू ने स्वसस्त्र भारत के नव वर्ष का यधाई दी। पूर्ण स्वाधीमता की घोषणा करके महात्मा गान्धी ने इस बार सारे देश को मानो जलती हुई भट्टो में साल दिया है। पदि घोषणा के अनुसार देश ने स्वाधीनता की ओर अग्रसर होने की सची चेष्टा की, तो मैं निश्चय पूर्षक कह सकता है कि सन् तीस भारत वर्ष के लिए परा मयानफ साल होगा। मेरी इस धारणा के दो जपर्यस्त कारण है-वंश को अप्रसर होना ही पड़ेगा चूंकि घोषणा महात्मा गाम्भी ने की है और ये अव प्राण देकर भी विश्राम लेने वाले जीव महीं है। गत वर्ष महात्मा गांधी में देश भर में घूम कर अपमा शक्ति को तोल लिया है और ये एक दम निराश नहीं हैं यदि ऐसा होता तो निश्चय महात्मा गाँधी इस अपर्दस्त जवाबदेही को सिर पर म लेते । परन्तु महात्मा जी ने ऐसे माजुक मौके पर, ऐसी भीपणा घोषणा करने का इरादा पक्का करने पर भी इस बार कांग्रेस के सभापति का स्थान स्वीकार कर और उसे प० जवाहरलाल नेहरू को बलात् देकर युषक दयों को बहुत स्वाधीन कर दिया है और यह काम असाधारण जोखिम से भरा हुआ है। + 1 !