पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/९४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(3) सेनेटर बोन का यह कहना है कि सब राष्ट्र हिन्दुस्ताम को स्वाधीमता को माने और इस में अमेरिका अग्रसर होकर इसे सबसे पहले माने। "स्पेक्टेटर" पत्र कहता है कि हिन्दुस्तान की पूर्ण या अपूर्ण स्वाधीनता की कोई स्कीम काँग्रेस के पास नहीं, मौर प्रिटिश गवममेंट को यही चाहिये कि अपमे मिजाज को ठीक रख कर पाय और निर्मयता के साथ अपन रास्ते पर चली जाय। 'न्यूस्टेट्समैन " कहता है कि पहिष्कार करने वालों का बहिष्कार करो मोर सहयोग करने वालों से सहयोग कये। समू से पात चीत क्रमे से कुछ लाभ होगा, नेहरू से पास खोत फरना सम्हें और सिरहामा हे। “मेशन कहता है कि वारसराय उपद्रव का यमन फरमे या उपश्य म होमे श्मे के लिये सो कुछ करें सस में होम गवर्नमेश को उन्हें पूरा सहारा देना चाहिये। " मैंघेस्टर गार्जियन" कहता है कि हिन्दुस्ताम ओर ग्रिटेन के पीय मो अन्तिम समझौता होगा उस में प्रोफ- निवेशक स्वराज्य का नाम महमा हो दोनों के लिये हितकर होगा। पं. जवाहरलाल नेहरू के साम्यवाद-विम्रारा फा पाद करते हुए "मैंचेस्टर गाजियन" में लिया है कि कांग्रेस मे चाहेको प्रस्ताव पास फिया हो, इस में कोई सम्वेदनहीं कि हिन्दुस्तान फो जो भी स्थिर स्थायी गवर्नमेंट होगी वह अपनी पूर्व-सरकार का भूण प्रदाफ्रना जरूपे समझेगी। "टाम्स" 1