Commissar for Defence) हैं। उन्होने अपनी सैनिक योग्यता से ही यह उच्च तथा उत्तरदायित्वपूर्ण पद प्राप्त किया है। जब आप नवयुवक थे तब आपको प्लेट्न चुना गया। तदन
न्तर कालेसागर के घुडसवार रिसाले के आप नायक बनाए गए। तब से आपने उत्तरी काकेशश, ख़ारकोफ् और कीफ् के रणक्षेत्रो का सचालन बडी योग्यता के साथ किया है । सन् १९३९ मे वह लाल सेना को लेकर पूर्वीय पोलैण्ड गये और बाद को फिनलैण्ड के युद्ध मे सफलता प्राप्त की। फ़िनलैण्ड की मेनरहीम दुर्गपंक्ति को बेधने मे सफलता प्राप्त करने के उपलक्ष्य में आपको मार्शल की पदवी प्रदान की गई। मार्शल ऐस० बुदेनी मार्शल तिमोशेको के सहकारी है। ऐस० कुशनेजोव् लाल
जल-सेना के प्रधान सेनापति है। वोरिस शापो शिनीकोव् सोवियट स्टाफ़ के चीफ है।
तिलक, लोकमान्य बाल (बलवन्तराव) गङ्गाधर--कोकण (महाराष्ट्र) के रत्नगिरि ज़िले के एक ग्राम में चित्पावन ब्राह्मण-कुल मे २३ जुलाई सन् १८५६ को जन्म हुआ। १८७६ ई० मे प्रथम श्रेणी मे बी० ए० (आनर्स) पास हुए और १८७९ में बंबई से उन्होने क़ानून की परीक्षा पास की। १८८० में तिलक तथा श्री चिपलूणकर शास्त्री ने न्यू इगलिश स्कूल की स्थापना की। और १८८४ मे उन्ही के प्रयत्न से दक्षिण-शिक्षा-समिति की प्रस्थापना हुई। इसी समिति की ओर से जब फर्गुसन कालेज की स्थापना की गई तो लोकमान्य ने उसे अपनी अध्यापकीय सेवाये अर्पित की। पर कुछ दिन बाद अपने इस संस्था से सम्बन्ध तोड लिया। सन् १८८१ मे, लोकमान्य तिलक तथा उनके सहयोगी श्री आगरकर ने मराठी में 'केसरी' तथा अँगरेज़ी मे 'मराठा' पत्रों को जन्म दिया और स्वयं उनके संपादक बने। तिलक की ओजस्विनी विचारधारा जनता मे जीवन और जागरण उत्पन्न करने लगी। इसी उद्देश्य से तिलक ने गणपति-उत्सव और शिवाजी-उत्सव प्रारम्भ किए। १८९५ मे