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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/१५५

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दरेदानियाल
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रूमानिया इस सन्धि में तत्काल ही शामिल होगये। ११ दिसम्बर '४१ को यह सन्धि पूर्ण सामरिक गुट में परिवर्तित होगई। यह सन्धि कामिन्टर्न विरोधी समझौते का ही एक प्रतिरूप है। <section end="1" {{Rule|height=2px}}

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थाईलैण्ड--(देखिये ‘स्याम')।


दण्डाज्ञा--अन्तर्राष्ट्रीय सधि-शतों के पालन के लिए उपाय। राष्ट्रसंघ के विधान की १६वी धारा मे, राष्ट्रसघ के विधान के विरुद्ध, युद्ध करनेवाले राष्ट्र के ख़िलाफ आर्थिक तथा सैनिक दण्डाज्ञाओ का उल्लेख है। इटली-अबीसीनिया युद्ध के बाद इटली के विरुद्ध इनका प्रयोग किया गया।


दरेदानियाल (Dardanelles)--यह डमरूमध्य दक्षिण मे काले-सागर तथा भूमध्य-सागर को मिलाता है। १८४१ ई० से यह तुर्की के अधिकार मे है। १८वी तथा १९वी शताब्दी में रूस इस पर अपना अधिकार करके भूमध्य-सागर में अपना आधिपत्य जमाना चाहता था। परन्तु ब्रिटेन, फ्रान्स और तुर्की ने इसका विरोध किया और, इस कारण, क्रीमियन युद्ध छिड़ा। विगत विश्व-युद्ध तक यह तुर्की के अधिकार में रहा। युद्ध के बाद मित्र-राष्ट्रो ने इस पर क़ब्ज़ा कर लिया और गैलीपोली प्रायद्वीप, जिसमें इस जल-डमरूमध्य का योरपियन-तट पडता है, यूनान को दे दिया गया। उपरान्त यह निरस्त्र कर दिया गया और हर प्रकार की जहाज़रानी के लिए इसे खोल दिया गया तथा इसका नियत्रण एक अन्तर्राष्ट्रीय कमीशन के हाथ मे दे दिया गया। परन्तु कमाल के नेतृत्व मे, तुर्की के यूनान पर विजय प्राप्त करने के बाद, गैलीपोली फिर तुर्की को दे दिया गया और, ४ अगस्त १९२३ के लौसेन-समझौते के अनुसार, इस पर अन्तर्राष्ट्रीय-नियन्त्रण हलका कर दिया गया, और तुर्की का इस पर आंशिक प्रभुत्व