होगया। ऐतिहासिक परम्परा के विरुद्ध रूस ने, आक्रमण का रास्ता खुल जाने की आशङ्का से, इसका विरोध किया और वरतानिया ने आग्रह। परन्तु, २० जुलाई १९३६ के मोन्ट्रियो-समझौते के अनुसार, तुर्की को इस डमरूमध्य का शस्त्रीकरण और क़िलेबन्दी करने का अधिकार मिल गया। अन्तर्राष्ट्रीय कमीशन का पचायती नियंत्रण भी हट गया और तुर्की को इस पर पूरा कब्जा मिल गया। परन्तु इस पूर्ण प्रभुत्व पर यह मर्यादाये लगा दी गई कि शान्ति के समय इसमें व्यापारिक जहाजरानी स्वतत्र रूप से हो सकेगी, १०,००० टन से ज्यादा के युद्ध-यान, पनडुब्बियाॅ तथा लड़ाकू वायुयानों को ले जानेवाले जहाज़ इसमे से न गुजर सकेंगे। इनके अतिरिक्त दूसरे लड़ाकू जहाज़ भी केवल दिन में निकल सकेगे। युद्ध के समय तुर्की तटस्थ रहेगा तथा विग्रही राष्ट्रों के युद्ध-पोतों को इसमें से गुजरने नहीं दिया जायगा। परन्तु यदि
युद्ध-पोत राष्ट्रसंघ के आदेश से अथवा किसी विशेष समझौते की रक्षा के लिए भेजे जायॅगे, तो उन पर तुर्की रा कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया जायगा। अन्यथा दरेदानियाल डमरूमध्य पर तुर्की को पूरा कब्जा है।
दलादिये, ऐडुअर्ड--फ्रान्स का राजनीतिज्ञ। सन् १८८४ में जन्म हुआ। इसका पिता नानबाई था। यह अध्यापक बन गया। विगत विश्व-युद्ध में कप्तान बनकर लड़ा। सन् १९१९ मे क्रान्तिकारी समाजवादी दल की ओर से पार्लमेण्ट का सदस्य (डिपुटी) चुना गया। सन् १९२४ मे उपनिवेश-मंत्री, १९२५ मे युद्ध-मंत्री और १९२६ में शिक्षा-मत्री बना। १९२७ मे क्रान्तिवादी-दल का प्रधान होगया। १९३३ मे १० मास के लिए प्रधान-मत्री रहा। सन् १९३४ फिर प्रधान मंत्री रहा। सन् १९३४ से युद्ध-मंत्री हुआ। पुनः अप्रैल १९३८