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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/१६४

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धुरी राष्ट्र
 


विरोधी नीति ग्रहण की, और १९३९ के मार्च मास में जब जर्मनी चेकोस्लोवाकिया के शेष भाग को भी दबा बैठा, तब इटली ने अलबानिया को धर दबाया। सन् १९३९ की २२ मई को इटली तथा जर्मनी में जो राजनीतिक तथा सैनिक समझौता हुआ उससे तो यह धुरी सर्वथा ध्रुव बन गई। इटली वास्तव में पश्चिमी योरपियन राष्ट्रो का हिमायती रहा है। वह नहीं चाहती था कि डैन्यूव के कछार में जर्मनी का विस्तार हो। यहाँ तक कि १९३४ की गर्मियों में, आस्ट्रिया में प्रथम नात्सी-उत्थान के समय, वह नात्सियों का सशस्त्र मार्गावरोध करने पर तुल गया था। लेकिन जब वह अबीसीनिया को हडप चुका, और पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा उस पर दण्डस्वरूप लगाये गये प्रति-रोध हटा लिये गये, तब वह धुरी-नीति की ओर झुका। इस नीति के प्रथम परिणामस्वरूप इटली की अवीसीनिया पर विजय पुष्ट होगई और उधर जर्मनी ने राइनलैण्ड पर अपना कब्ज़ा जमा लिया। इन दोनों राज्यों ने स्पेन के गृह-युद्ध में जनरल फ्राको को भारी मदद दी। १९३८ में जर्मनी आस्ट्रिया को दबा वैठा, तब इटली ने चूँ तक नहीं की और न डैन्यूव के कछार में जर्मनी के विस्तार का विरोध किया,


यद्यपि ऐसा होने से हंगरी और यूगोस्लाविया के प्रदेश में इटली के हितो की हानि होती थी। फिर दोनों ने मिलकर योरप के छोटे राष्ट्रो को तलवार के बल पर हड़पना शुरू कर दिया। जर्मनी यह चाहता है कि पूर्वी, दक्षिणी तथा मध्य योरप मे जर्मन-राज्य का विस्तार हो तथा भूमध्यसागर के तटवाले प्रदेशो में इटली का। फ्रान्स, ब्रिटेन, तथा रूस से इनका विरोध था। जापान रूस का सदैव शत्रु रहा