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पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/१९७

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फ़ज़्‌लुल हक़
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(पी॰ सी॰) एक प्रकार की उपाधि है जो, राज्य की सेवा करने के उपलक्ष्य में, व्यक्तियों को दी जाती है। प्रिवी कौंसिल के सदस्य 'राइट आनरेब्‌ल' कहलाते हैं। प्रिवी कौंसिल की अनेक समितियाँ हैं, परन्तु वे बहुत ही कम अपने अधिवेशन करती हैं। इसकी एक कमिटी न्याय-समिति है, जो अपना काम करती है। इसके सदस्य वकील, लार्ड और पेंशनयाफ़्ता जज होते हैं। यह ब्रिटिश राष्ट्र-समूह में सर्वोच्च न्यायालय का काम करती है। उपनिवेशों तथा भारत के हाईकोटों तथा उच्च अदालतों की अपीलें इसी न्याय-समिति के न्यायाधीशों के सामने सुनी जाती हैं। किन्तु कनाडा की अपनी अलग प्रिवी कौंसिल है। वह इसके आश्रित नहीं।





फ़ज़्‌लुल हक़, मियाँ ए॰ के॰––बंगाल-सरकार के प्रधान-मंत्री। शिक्षा : बार-एट-ला। सन् १९३०-३२ के गोलमेज-सम्मेलन लन्दन के प्रतिनिधि। बंगाल के प्रसिद्ध नेता देशबन्धु चित्तरंजनदास के समय में आप कांग्रेस के कार्यकर्ता थे।

उसी स्थिति में कलकत्ता कारपोरेशन के मेयर बने। किन्तु पीछे आप पर साम्प्रदायिकता का रंग शुरू हुआ और मुसलिम लीग में शामिल होगये। मि॰ जिन्ना के प्रमुख सहायक रहे। मुस्लिम-लीग की अ॰ भा॰ कार्य-समिति के सदस्य बन गये। किन्तु १९४१ के अन्त में आपके मंत्रिमण्डल में परिवर्तन हुआ और आप साम्प्रदायिकता के दलदल से ऊपर उठे। फलतः