से अपना संब-न्धडविच्छेद कर लिया । वलगा-रिया की जनतारूस से सहानुभूति रखती है, किन्तु वहाँ की सरकार जर्मनी के साथ है |
वर्तिन-बस्मृदाद-राज्यरेखा--- पिछली लढ़ाई के पूर्व से ही जर्मनी क्ल- कान-राष्ट्र-समूहू ओर तुकों मे होकर वटादादस्थित भोसल के तेल के कुओ तक अपना साम्राज्य स्थापित कर देने के सुख स्वप्न देख रहा हे | वर्तमान युद्ध मे भी वह इस काल्पनिक राज्यरेखा को नहीं भुला है | वह मनोंरेखा एक रेलवे लाइन का रूप धारण करनेवाली थी | तुकों ओर वरादाद के बीच, इस लाइन का अन्तिम भाग, जुलाई '४० मे, बनकर चुका है ।
ब्रह्मा ( बर्मा )---अप्रैल ११४२ मे जापान द्वारा अपहरित होने से पूर्व बर्मा ब्रिटिश राष्ट्र-समूहृ का एक अंग था और सन् १६४२ से पूर्व भारत का एक प्रान्त । सत् १६३५ के नवीन वर्मा शासन-विधान द्वारा उसे भारत से पृथकमूकर दिया गया | भारत मे इस पृथक्करण का, राजनीतिक ओर आर्थिक आधार पर, विरोध किया गया | ब्रहम का क्षेत्रफल २,६२,० ० ० वर्गमील ओर जन-संखया १,५०,००,००० है : इनमे ननव्वे लाख ठेठ वर्मी ; चौदह लाख कारेन और दस-दस लाख शान तथा भारतीय, आदि हैं | ब्रझी पूर्ण सभ्य हिन्द-मंमोली जाति के हैं ओर उनकी भाषा चीन-तिव्यती समूह की है । बर्मा दो भागो भे विभाजित है : मुख्य बर्मा ओर शान-रियासते । ब्रिटिश गवर्नर ज़डफाले मे रंसुंगृ ये और गर्मियों में मेमियो में रहा करता था ।
भारत से पृथकू क्ररते समय ब्रिटिश सरकार ने, १६३५ के भारत-सरकार कानून के आधार पर, बर्मा ने क्रमिक राजनीतिक विकास और उसे स्वशासन