की घोषणा करदी। एक साल के बाद यूरोप के राष्ट्रों ने इस अमानुषिक अपहरण-काण्ड पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी। सन् १९४० से जून १९४२ ई० तक अफ्रीका में ब्रिटेन, इटली के विरुद्ध युद्ध करता रहा। वरतानवी फौजो ने, जिनमें हिन्दुस्तानी सिपाही मुख्य थे, इस मोर्चे पर, जो लीबिया रणक्षेत्र के नाम से मशहूर था, इटालियन सेनाओं को बुरी तरह हराया। बारबार हारने मे इटालियनो को जर्मन कुमुक बुलानी पड़ी। जर्मन जनरल रामल का भी ब्रिटिश जनरल ऑचिनलैक ने जमकर मुक़ाबला किया, लेकिन पीछे ब्रिटिश सेनाओं को इस
मोर्चे से हटा लिया गया।
लीबिया में, इटालियन पराजय के समय, ब्रिटिश सेनाओं ने अबीसीनिया पर आक्रमण करके वहाँ से इटालियन आधिपत्य का अन्तकर उसे अपने सैनिक-संरक्षण में कर लिया। १५ जनवरी १९४० को हेली सिलासी ने अपनी मातृभूमि में, लगभग ५ वर्ष बाद, पुनः प्रवेश किया। लेकिन इस समय वह नाम मात्र का वहाँ का सम्राट् है। शायद अबीसीनिया फिर स्वतंत्र होसके।
अम्बेदकर, डाक्टर भीमराव--सन् १८९३ मे डा० भीमराव अम्बेदकर का जन्म हुआ। इनके पिता फौज मे अफसर थे। बम्बई के रत्नागिरि दपोली ग्राम में रहते थे। प्रारम्भिक शिक्षा इसी ग्राम की पाठशाला में हुई। इसके बाद सतारा के हाईस्कूल में शिक्षा प्राप्त की। फिर बम्बई के एलफिंस्टन काॅलेज में भर्ती हुए। श्रीमान् वडोदा-नरेश ने इन्हें छात्रवृत्ति देना आरम्भ कर दिया। जब बी० ए० पास कर लिया तव वह वडोदा गये और वहॉ इन्हें फ़ौज में लेफ्टिनेट बना दिया गया। उपरान्त वडोदा-नरेश ने छात्रवृति