पृष्ठ:Antarrashtriya Gyankosh.pdf/२७०

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दक्शिण (लातीनी) अमरीका के राज्यों मे यह सिदधान्त लोकप्रिय नही है। वे इसे सयुक्त राज्य अमरीका का प्राधान्य स्थापित करने का एक साधन समभते है। वास्तव में मनरो सिदधान्त अंताराष्ट्रिय विधान नही है, प्रत्युत स्ंयुक्त राज्य अमरीका की राष्ट्रीय नीति का अश है। मनोवैजानिक युदध प्रयाली-ईसपात के बने शस्त्रास्त्रो से नही लड्ना पडता। यह युद्ध प्रयाली कूटनीतिपूर्ण मनोवैजानिक साधनों के प्रयोग पर निर्भर करती है। जो देश इस प्रयाली का आश्रय लेता है, वह संसार मे, विशेषकर अपने अधीन देशो और अपने मित्र राष्ट्रो मे तथा शत्रु के विरुध लोकमत बनाने का प्रचारण करते है। इस प्रयाली का मुख्य कार्य संसार के लोकमत के सामने शत्रु को हेय सिद्ध करना तथा संसार को यह विश्वास करा देना है कि अपनी रक्सा कि लिय वह राष्ट्र जो उध्योग कर रहा है वह एकदम पवित्र और मानव-हितकामना से प्रेरित है। वह शत्रुदेश की प्रजा को भी, उसकी सरकार के विरुध, उत्तेजित करता है, और वह उसको यह बतलाता है कि संसार मे शान्ति और व्यवस्था स्थापित होनी चाहिए और हमारा पत्र सर्वथा अनुमोदनीय है। इस प्रयाली की सफलता के लिए विजापन, समाचार-पत्र, रेडियो तथा गुप्तचर दल का खूब प्रयोग किया जाता है। मनोवैजानिक युद्ध-प्रयाली का आश्रय लेने वाला देश, अपने प्रचार के समय, शेष संसार को बिलकुल मूर्ख समफ बैठता है। मरक्को- सल्तनत लगभग २१३०० वर्ग जन ७२००००० है, अफ्रीका के उत्तर पशिचमी कोए मे स्थित। योरप के अनेक साम्राज्य्वादी देशों मे, इस प्रदेश के लिए, बहुत दिनो तक बडी प्रतिस्पर्ध्दा रही। सन २९०४ मे ब्रिटेन ने मरक्को को फ्रांस का प्रभाव शेत्र स्वीकार कर लिया। जर्मनी मे इससे रोष फैला और २९०५ मे कैसर मक्को के टेजियर बन्दरगाह की दिखावटी सैर करने, किन्तु वास्तव मे मरक्को पर जर्मन दावे की पुष्टि के लिए